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Blog102:

"सन्डे स्पेशल हिन्दी ब्लॉग"


आहार की स्वच्छता के कुछ खास नियम

आज पूरा देश Coronavirus का सामना कर रहा है। इसका कोई प्रमाणित इलाज न होने के कारण, चाहे वह वैक्सीन हो या दवा, स्वच्छता संबंधी दिशानिर्देशों का पालन करना ही इस महामारी से बचने का पहला और सबसे आवश्यक कदम है। सही स्वास्थ्य बरकरार रखने और रोग संक्रमण से खुद को बचाने के लिए, जिन शर्तों और नियमों का पालन किया जाता है, उसे ही स्वच्छता कहा जाता है। स्वच्छता केवल हाथों की ही नहीं, बल्कि आहार की भी होनी चाहिए।  हाथों को स्वच्छ रखना COVID-19 के विरुद्ध पहला प्रतिरक्षात्मक कदम है।  हाथों को स्वच्छ रखने पर आप जीवाणु संक्रमण से दूर रह सकते हैं, और कम्यूनिटी ट्रांसमिशन को रोका जा सकता है। इससे आप खुद को और दूसरों को भी स्वस्थ रहने में मदद कर सकते हैं। कुछ जरूरी निर्देश: 1. हाथों की स्वच्छता बरकरार रखें: थोड़ी-थोड़ी देर बाद हाथों को साबुन और पानी से साफ करें या कम से कम 60-70% अल्कोहल वाले हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें। साबुन, वायरस के बाहरी फैट लेयर को नष्ट कर देता है, जो साबुन में फंस जाते हैं और पानी की मदद से धुल जाते हैं। अल्कोहल युक्त हैंड सैनिटाइजर वायरस को निष्क्रिय करने में मदद करत

Blog81:

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उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure)

आज की भाग दौड़ भरी जीवनशैली में उच्च रक्तचाप होना सामान्य सी बात हो गई है। ऐसा लगता है कि इससे बचना नामुमकिन है, पर सच्चाई यह नहीं है। ज्यादा नमक और चीनी का सेवन, तनाव , असक्रिय जीवनशैली और धूम्रपान आदि कुछ ऐसे कारक हैं, जो उच्च रक्तचाप के खतरे को बढ़ाते हैं। दुर्भाग्यवश बहुत से लोग रक्तचाप की समस्या को गंभीरता से नहीं लेते। उच्च रक्तचाप न सिर्फ दिल की सेहत के लिए नुकसानदेह है, बल्कि इससे किडनी खराब हो सकती है, आंखें खराब हो सकती हैं, पैरालिसिस हो सकता है और साथ ही अन्य कई जानलेवा बीमारियों का सामना भी करना पड़ सकता है। बेहतरी इसी में है कि इस बीमारी के जद में आने से पहले ही इससे बचने के उपाय कर लिए  जाएं तो बेहतर है। Read Also: Tips to reduce intake of added sugar क्या है उच्च रक्तचाप – What is High Blood Pressure (Hypertension)? जब शरीर की धमनियों में रक्त का दबाव सामान्य से अधिक हो जाता है, तो उस स्थिति को उच्च रक्तचाप कहते हैं। ऐसा होने पर रक्त नलिकाओं के फटने का अंदेशा रहता है। साथ ही दिल से जुड़ी विभिन्न प्रकार की बीमारियां और किडनी तक में समस्या हो सकती है। इतना ही नहीं, अगर

Blog68: सेहत की संजीवनी: गिलोय

गिलोय का वनस्पतिक नाम तिनोस्पोरा कोर्दिफोलिया  ( Tinospora cordifolia)  है। यह  एक बहुत ही महत्वपूर्ण हर्ब है।  यह एक प्रकार का लता युक्त पौधा होता है जिसकी लतिका 15 सें टी मीटर तक फैली हुई है। यह देखने में छोटे से पान के पत्ते की तरह होता है साथ ही यह दिल के आकार की तरह भी दिखता है । यह ज्यादातर जंगलो या पहाड़ों की कठोर मिट्टी पर उपजा हुआ पाया जाता है, इसमें छोटे छोटे बीज गुच्छों में लगे होते है। जो शुरुआत में हरे होते है और पक जाने पर लाल हो जाते है। गिलोय की खासियत यह है कि यह जिस तरह के भी पेड़ों पर फैलता है, उस पेड़ के जो भी अच्छे औषधीय गुण होते है वो इसके पौधों में समाहित हो जाते है। इस तरह से अगर यह नीम के पेड़ो पर फैला हुआ हो तो यह और भी लाभकारी होता है ।  गिलोय या गुडूची (Guduchi) को अमृत के समान माना गया है। गिलोय का संस्‍कृत नाम  अमृतवल्‍ली  है। जिसका उल्‍लेख प्राचीन स्‍वास्‍थ्‍य साहित्‍यों में मिलता है। वैज्ञानिक भी गिलोय के लाभों की पुष्टि करते हैं। सामान्‍य रूप से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का सबसे अच्‍छा विकल्‍प है। यदि सही मात्रा और पूरी जानकारी के साथ इस जड़

Blog66:

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लंच बॉक्स

बच्चे  का  लंच   स्कूल  से   वापस आना हर मां के लिए चिंता का कारण है। पर ऐसा क्यों है? क्या अपने कभी सोचा है? इसके लिए आपकी बोरिंग रेसिपी तो जिम्मेदार नहीं? भले ही आप बच्चे के लिए हर रोज हेल्दी लंच तैयार करती हों, लेकिन बच्चों के मामले में कहानी हेल्दी खाने तक ही नहीं रहती। अन्य लोगों की तरह बच्चे भी खाने के मामले में वैरायटी पसंद करते हैं। उन्हें एक जैसा खाना बोरियत वाला लगता है, इसलिए लंच पैक करते समय आपको थोड़ा स्मार्ट तरीका अपनाना होगा । अगर जरूरत की बात करें तो बच्चों के लंच बॉक्स में प्रोटीन से भरपूर खाना होना चाहिए इसके अलावा लंच में विटामिन पोषक तत्व, ग्लूकोज की पूर्ति करने वाली चीजें हों, जो बच्चे को ऊर्जावान बनाए। लेकिन ये सभी चीजें नेचुरल होनी चाहिए। लंच में क्या होना चाहिए? बच्चों को आमतौर पर लंच में अचार परांठा या सब्जी परांठा दिया जाता है। इसका बेहतर और हेल्दी विकल्प है चपाती। मल्टीग्रेन आटे की चपाती और सब्जी बच्चों को लंच में दें। इसके अलावा डेयरी प्रोडक्ट रखें, जैसे कि दही, पनीर आदि। इससे कैल्शियम और प्रोटीन दोनों की पूर्ति होती है, जो उनकी हड्डियों, दांत और

Blog60:

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प्लांट बेस्ड प्रोटीन

जब भी प्रोटीन की बात करते हैं, तो सबसे पहले अंडा हमारे जेहन में आता है। लेकिन अंडे के अलावा और भी बहुत सी चीजें हैं, जिसमें प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है। जैसा कि आप भी जानते हैं, प्रोटीन  त्वचा, रक्त, मांसपेशियों तथा हड्डियों की कोशिकाओं के विकास के लिए आवश्यक होता है।  हमारे शरीर में लाखो कोशिकाए प्रतिदिन नष्ट होती है और लाखो का निर्माण प्रतिदिन होता है ।  प्रोटीन इन नयी कोशिकाओ के निर्माण में और उत्तको की मरम्मत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।   लेकिन समस्या यह की प्रोटीन का नियमित रूप से सेवन करें कैसे?  मीट,  अंडा खाने वाले नियमित रूप से इसका सेवन करके प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा ले सकते हैं लेकिन शाकाहारी लोग इसका सेवन नहीं कर पाते हैं।   जब शाकाहारियो के लिए प्रोटीन की बात आती है तो उनमे डेरी पदार्थ दूध, दही और चीज का नाम प्रमुख  है ।  क्योकि ये  कम्पलीट प्रोटीन  के स्त्रोत है जो शरीर को सभी  आवश्यक अमीनो अम्ल  प्रदान करते  है ।  इसके अलावा  प्लांट प्रोटीन  में  सोया   प्रोटीन  और कुछ अनाजो जैसे    क्विनोआ  में  कम्पलीट प्रोटीन  पाया जाता   है ।   शाकाहारी लोगो के लिए प्ला

Blog55:

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तिल का कमाल.

तिल भले ही आकार में छोटा होता हैै, लेकिन यह स्वास्थ के नजरिए से बहुत ही फायदेमंद होता हैै। काले तिल में पाए जाने वाले पोषक तत्व बढ़ती उम्र  में  होने वाले नकारात्मक प्रभावों से बचाव में मदद करते हैं।   भारतीय खानपान में तिल का बहुत महत्व है। सर्दियों के मौसम में तिल खाने से शरीर को ऊर्जा मिलती है और शरीर सक्रिय रहता है। तिल में प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन बी- कॉम्प्लेक्स और कार्बोहाइड्रेट आदि तत्व पाए जाते हैं, जिसके सेवन से शरीर स्वस्थ्य रहता है और तनाव दूर होता हैै। इसके अलावा प्राचीन समय से खूबसूरती बनाए रखने के लिए भी तिल का प्रयोग किया जाता रहा है। इसका उपयोग कई बीमारियों के इलाज और बढ़ती उम्र से निपटने के लिए किया जाता है। 35 की उम्र के बाद हड्डियों का बढ़ना रुक जाता है और मेनोपॉज़ के बाद महिलाओं में हड्डियों के टूटने का सिलसिला शुरू हो जाता है या हड्डियों में खोखलापन होने लगता है। ऐसे में काले तिल का सेवन उनके लिए फायदेमंद होता है, क्योंकि इसमें कैल्शियम और जिंक पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है, जो हड्डियों को मजबूत रखते हैं। वहीं तिल में विटामिन बी की मात्रा हमारी स्किन

Blog42:

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सर्दी का लड्डू

सर्दियों में मौसम में हर रोज एक मुट्ठी नट्स खाने से आप खुद को दिनभर तरोताजा और एक्‍टिव महसूस करते हैं। नट्स में विशेष तौर पर बादाम, अखरोट, और खजूर का ज्यादा महत्व है। इनके अलावा आप तिल, गुड़, तिसी या अलसी का भी सेवन करके इनके लाभ उठा सकते है। सर्दी के मौसम में खासतौर पर इन सबको मिलाकर लड्‍डू बनाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत ही फायदेमंद होते हैं। आइए जानते है सर्दियों में सेहत बनाने वाले लड्डू की सरल विधि। मेवे का लड्डू सामग्री: 1 कप काजू  1 कप बादाम 1 कप पिस्ता 1 कप मखाना 1 कप गरी का बारीक पिसा हुआ बूरा 1/4 कप किशमिश चिरोंजी  – 1/4 कप शक्कर बारीक पीसी हुई – 1 कप घी आवश्यकतानुसार दूध आवश्यकतानुसार विधि: सबसे पहले हम एक पैन गैस पर गर्म होने रखेंगे। फिर उसमे बादाम को हल्का सा भूनेंगे और इसे प्लेट में निकाल लेंगे। फिर मखाने को भूनेंगे। काजू और पिस्ता को भी इसी तरह भूनेंगे। इन सभी को ठंडा करके मिक्सर में थोड़ा दरदरा पीस लेंगे। अब एक पैन  में घी डालकर गर्म होने देंगे। अब इसमें पीसे हुए मेवे डालकर कलर बदलने तक भूनेंगे। फिर इसमें गरी का बार

Blog33:

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बचपन में देंगे ऐसा आहार, तो उम्रभर बीमारियों से दूर रहेंगे बच्चे

अक्सर जब बात आती है बच्चों के खाने से जुड़े सवालों की तो ज्यादातर माता-पिता की परेशानी एक ही होती है कि उनका बच्चा कुछ नहीं खाता. वह बस बाहर का खाना या अटरम-शटरम पसंद करता है. और यह बड़ी वजह है कि परिजन बच्चों की सेहत के लिए चिंतित रहते हैं. अक्सर माता-पिता इस बात को लेकर भी दुविधा में रहते हैं कि बच्चे को क्या दिया जाए जो उसकी ग्रोथ के लिए अच्छा हो. तो आज आपको बताते हैं कि कैसी हो आपके बच्चे की डाइट, क्या हो उसके आहार में शामिल और क्या है ऐसा जो आपको उसे नहीं खिलाना- बचपन का समय शरीर और इससे जुड़े कई बदलावों और जरूरतों का होता है. इस उम्र में शरीर का विकास होता है. इसलिए जरूरी है कि आप बच्चे के आहार में हरी सब्जियां, अंकुरित अनाज  ज्यादा डालें. भले ही वे उन्हें पसंद नहीं करते हैं, लेकिन उनकी सेहत के बेहद जरूरी है.  बच्चों को खाना परोसते हुए उसे थोड़ा डेकोरेट करें. ताकि वे खाने में दिलचस्पी लें और खेल-खेल में ही अपना खाना पूरा खत्म कर दें.  हमारे घरों में गेहूं के आटे की रोटी बनते हैं. इस बात का नियम बनाएं कि आप इसे छान कर रोटी न बनाएं. आटे को चोकर के साथ ही गूथें . इसके अल