त्रिफला तीन फलो के योग से बना होता है, हरड़, बहेड़ा और आंवला। जैसा की आप सब जानते होंगे ये तीनों बहुत ही गुणकारी होते है और जब मिलते है तो और अधिक फायदेमंद हो जाते है। आमतौर पर लोग यह सोचते है कि त्रिफला सिर्फ पेट साफ करने, कब्ज दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है लेकिन ऐसा नहीं है। त्रिफला बहुत सी बीमारियों को दूर करने के लिए उपयोगी है। यह शरीर में वात्, पित्त और कफ को संतुलित करता है और यह एंटीऑक्सिडेंट, एंटीएजिंग भी है।
- पाचन समस्याओं को दूर करने में त्रिफला सबसे कारगर दवा है। त्रिफला पाचन तंत्र को मजबूत करने के साथ साथ आँतों की सफाई भी करता है। त्रिफला में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो कि सेल्स के मेटाबॉलिज्म को नियमित रखते हैं।
- जिन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और इसके कारण वह बार-बार बीमार पड़ते है। उन लोगों को त्रिफला का सेवन करना चाहिए। त्रिफला के सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जिससे शरीर को बीमारियों से लड़ने की क्षमता मिलती है। प्रतिरोधक क्षमता से शरीर बाहरी तत्वों के खिलाफ आसानी से लड़ सकता है। त्रिफला, शरीर में एंटीबॉडी के उत्पादन को बढ़ावा देता है जो शरीर में एंटीजन के खिलाफ लड़ते है और बॉडी को बैक्टीरिया मुक्त रखते है।
- अगर आपके शरीर में खून की कमी हो गई है तो इसका सेवन करने से इस समस्या से भी निजात पाई जा सकती है। अगर आपको एनीमिया से पीड़ित है तो त्रिफला का सेवन आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। नियमित रूप से त्रिफला का सेवन करने से शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं बढ़ती है जिससे शरीर में हीमोग्लोबिन बढ़ने लगता है।
- डायबिटीज के उपचार में त्रिफला बहुत प्रभावी है। यह पेनक्रियाज को उत्तेजित करने में मदद करता है, जिससे इंसुलिन की मात्रा उत्पन्न होती है और शरीर इंसुलिन की उचित मात्रा और शर्करा के स्तर को बनाए रखता है।
- एक अध्ययन से पता चला है कि त्रिफला का सेवन रेडियोधर्मिता से भी बचाव करता है। प्रयोगों में देखा गया है कि त्रिफला की खुराकों से गामा किरणों के रेडिएशन के प्रभाव से होने वाली अस्वस्थता के लक्षण भी नहीं पाए जाते हैं। इसीलिए त्रिफला चूर्ण आयुर्वेद का अनमोल उपहार कहा जाता है।
- त्वचा संबंधी समस्या होने पर त्रिफला काफी मददगार होता है। त्रिफला, बॉडी से विषाक्त पदार्थो को बाहर निकाल देता है जिससे ब्लड साफ होता है और त्वचा पर होने वाली समस्याओं से आसानी से दूर हो जाती है। इसके अलावा यह शरीर में किसी प्रकार के संक्रमण को होने से भी रोकता है।
- त्रिफला लेने के नियम: सुबह अगर त्रिफला लेते हैं तो उसे "पोषक" कहते हैं क्योंकि सुबह इसका सेवन शरीर को पोषण देता है जैसे शरीर में विटामिन, लौह, कैल्शियम आदि की कमी को पूरा करता है। सुबह के समय इसका सेवन आप गुड़ के साथ भी कर सकते हैं। रात में इसे लेते है तो उसे "रोचक" कहते हैं क्योंकि रात को त्रिफला लेने से पेट की सफाई तथा कब्ज इत्यादि का निवारण होता है। रात में इसे गर्म पानी के साथ लेना चाहिए।
- इसे फांक के / पानी के साथ मिलाकर / पानी में रात में भिगोकर और सुबह छानकर कर या काढ़ा बनाकार पिया जा सकता है।
- सावधानी: दुर्बल (weak), गर्भवती स्त्री एवं बुखार में त्रिफला का सेवन नहीं करना चाहिए।
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