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Blog68: सेहत की संजीवनी: गिलोय

गिलोय का वनस्पतिक नाम तिनोस्पोरा कोर्दिफोलिया (Tinospora cordifolia) है।यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण हर्ब है। यह एक प्रकार का लता युक्त पौधा होता है जिसकी लतिका 15 सेंटी मीटर तक फैली हुई है। यह देखने में छोटे से पान के पत्ते की तरह होता है साथ ही यह दिल के आकार की तरह भी दिखता हैयह ज्यादातर जंगलो या पहाड़ों की कठोर मिट्टी पर उपजा हुआ पाया जाता है, इसमें छोटे छोटे बीज गुच्छों में लगे होते है। जो शुरुआत में हरे होते है और पक जाने पर लाल हो जाते है। गिलोय की खासियत यह है कि यह जिस तरह के भी पेड़ों पर फैलता है, उस पेड़ के जो भी अच्छे औषधीय गुण होते है वो इसके पौधों में समाहित हो जाते है। इस तरह से अगर यह नीम के पेड़ो पर फैला हुआ हो तो यह और भी लाभकारी होता है गिलोय या गुडूची (Guduchi) को अमृत के समान माना गया है। गिलोय का संस्‍कृत नाम अमृतवल्‍ली है। जिसका उल्‍लेख प्राचीन स्‍वास्‍थ्‍य साहित्‍यों में मिलता है। वैज्ञानिक भी गिलोय के लाभों की पुष्टि करते हैं। सामान्‍य रूप से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का सबसे अच्‍छा विकल्‍प है। यदि सही मात्रा और पूरी जानकारी के साथ इस जड़ी बूटी का सेवन कई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं से हमें बचा सकती है।
गिलोय को खाने के फ़ायदे 
1. गिलोय बुखार से भी राहत दिलाने में कारगर है. चुकि गिलोय की प्रकृति में ही एंटी प्यरेटिक के गुण पाए जाते है, जिस वजह से यह डेगूं, स्वाईन फ्लू और मलेरिया जैसी खतरनाक बिमारियों के लक्षणों को कम करने में भी सहायक है। यह रक्त प्लेटों की संख्या को बढाता है।अगर गिलोय का एक छोटा सा टुकड़ा शहद के साथ लिया जाये तो यह मलेरिया के रोग में सहायता करता है। 
2. गिलोय नेत्र विकारों के इलाज के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यह आंखों की रोशनी बढ़ा देता है और चश्मे के बिना बेहतर देखने में मदद करता है। भारत के कुछ भागों में लोग गिलोय को आंखों पर उपयोग करते हैं। आप गिलोय को पानी में उबालें, उसको ठंडा करें और फिर आँखों की पलकों पर लगाएं। आपको निश्चित रूप से एक परिवर्तन दिखाई देगा।
3. गिलोय भूख बढ़ाती है। गिलोय पाचन शक्ति को भी दुरुस्त रखने का काम करता है। यह आंत सम्बन्धी रोगों का इलाज करने में बहुत फायेदेमंद है। कब्ज की बीमारी को रोकने के लिए इसका गुड और आवले के साथ अगर नियमित रूप से सेवन किया जाए तो यह पाचन के लिए सहायता करता है। अपच की स्थिति में गिलोय को आधे ग्राम पोएदर के साथ कुछ आवला को मिलाकर इसको खाने से अच्छा परिणाम मिलेगा, साथ ही गिलोय के रस को दही के छाछ के साथ मिलाकर भी पीने से फायदा होगा। 
4. अगर आप मधुमेह से पीड़ित हैं, तो गिलोय निश्चित रूप से आपके लिए प्रभावी होगा। गिलोय एक हाइपोग्लिसीमिक एजेंट के रूप में कार्य करता है। यह रक्तचाप और लिपिड के स्तर को भी कम कर सकता है। यह टाइप 2 मधुमेह के इलाज को बहुत आसान बनाता है। मधुमेह रोगियों को नियमित रूप से रक्त शर्करा के उच्च स्तर को कम करने के लिए गिलोय का जूस पीना चाहिए।
5. गिलोय हमारे रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्‍सीडेंट हमारे स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देने में सहायक होते हैं। यह शरीर में मौजूद हानिकारक जीवाणुओं से लड़ते हैं और फ्री रेडिक्‍ल्‍स के प्रभाव से बचाते हैं। इस तरह से मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए गिलोय एक अच्‍छा विकल्‍प हो सकता है। आप भी गिलोय का इस्‍तेमाल कर इस प्रकार की समस्‍या से बच सकते हैं। साथ ही गिलोय हमारे शरीर के विषाक्त पदार्थो को भी बाहर निकालने में सहायक है यह खून का शुद्धिकरण करता है।
6. गिलोय मानसिक तनाव और चिंता को भी कम करने में सहायक है। शरीर में मौजूद अवशिष्ट पदार्थ को निकाल कर यह मन को शांति प्रदान करता है और यदाशत को बढ़ाने में भी कारगर है।
7. एक प्रकार सांस संबंधी गंभीर समस्‍या जिसे अस्‍थमा के नाम से जाना जाता है। अस्‍थमा के कारण सीने में जकड़न, सांस लेने में दिक्‍कत, खांसी, आवाज में घरघराहट आदि की समस्‍या हो सकती है। अस्‍थमा जैसी गंभीर समस्‍या के लिए गिलोय का प्रयोग फायदेमंद होता है। इस बीमारी को दूर करने के लिए गिलोय की जड़ को चबाने या इस जड़ का रस पीने के फायदा होता है। यदि आपके आसपास कोई दमा रोगी है तो आप उसे गिलोय का उपयोग करने की सलाह दे सकते हैं।
8. इसमें एंटी फ्लेमिनेतरी (anti- inflammatory) और एंटी गठिया सम्बन्धी गुण होते है, इसलिए यह गठिया रोग में सहायक है। अगर गिलोय के पाउडर को गर्म दूध और अदरक के साथ खाया जाए तो यह गठिया रोग में लाभकारी होगा।
9. गिलोय शरीर की अनेक बीमारियों को दूर करता है इसलिए स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।यह शरीर में उत्पन्न हुए एलर्जी को खत्म करता है यह सोरायसिस जैसी खतरनाक त्वचा सम्बन्धी बीमारी से भी बचाता है। 
10. गिलोय त्वचा के लिए बहुत ही लाभदायक है, इसके बीज को अगर पीस करके इसका लेप चेहरे पर लगाये तो इसको लगाने से कील मुहासों की समस्या नहीं होगी। गिलोय में एंटी एजिंग के गुण समाहित होते है जोकि बढ़ते हुए उम्र के असर को जैसे कि त्वचा पर झुरियों का पड़ जाना, डार्क स्पॉट्स, उम्र के साथ त्वचा पर रेखाए पड़ जाती है, उसको रोकने में मददगार होता है। यह इस तरह के परेशानियों को कम करके त्वचा को सुंदर चमकीला और दाग धब्बो रहित बनाता है।
गिलोय खाने के तरीके
•इसकी तासीर गर्म होती है। एक बार में गिलोय की लगभग 20 ग्राम मात्रा ली जा सकती है।गिलोय को अलग अलग चीजों के साथ खाया जा सकता है, और साथ ही बिमारियों से भी बचा जा सकता है, जैसे की गिलोय को संधिशोध अर्थात आर्थराइटिस को ठीक करने में अदरक के साथ खाया जाता है गठिया को ठीक करने में अरंडी के तेल के साथ लगाया जाता है और घी के साथ खाया जाता है त्वचा और जिगर को ठीक रखने के लिए चीनी के साथ इसको खाया जाता है, साथ ही कब्ज को रोकने के लिए इसका इस्तेमाल गुड के साथ खाकर किया जाता है
•गिलोय के जूस को अगर सुबह खाली पेट लिया जाए तो यह बहुत ही फायदा कारक होता हैस्वाद भले ही थोडा तीखा हो लेकिन यह त्वचा पर पिम्पल्स या उससे जुडी समस्या एक्जिमा, सोरायसिस को जड़ से खत्म कर देता है, क्योंकि प्राकृतिक रूप से इसमें खून को साफ़ करने की क्षमता होती है। गिलोय का जूस पित, कफ़, वात जैसी समस्या से निजात दिलाता है। गिलोय का जूस किसी भी तरह की वायरल बीमारियों से बचाव करता है गिलोय के तने में स्टार्च की मात्रा होती है, इसलिए इसका जूस भी बहुत फ़ायदे मंद होता है गिलोय का जूस मन को शांत रखता है
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•गिलोय का जूस बाजार में डब्बाबंद भी मिल सकता है, और इसे हम घर में भी बना सकते है।बाबा रामदेव की संस्था पतंजलि में भी निर्मित गिलोय का जूस बाजार में उपलब्ध है गिलोय की लता लगभग 1 फीट तक ले, उसके उपर की परत को हटाकर उसके लता को अच्छे से पीस ले, फिर इसको 6 ग्लास पानी, लौंग डाल कर अच्छे से खौला लें। जब पानी आधा रह जाए तो इसे छान कर आप इसका सेवन कर सकते है।यह जूस जोड़े के दर्द में आराम देता है।
•इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं सर्दी जुकाम, बुखार आदि में एक अंगुल मोटी व 4 से 6 इंच लम्बी गिलोय का तना लेकर 400 मि.ली पानी में उबालें, 100 मिली रहने पर पिएं। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून-सिस्टम) को मजबूत करती है बुजुर्ग व्यक्तियों में कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता होने की वजह से बार-बार होने वाली सर्दी-जुकाम, बुखार आदि को ठीक करता है।
•गिलोय को अगर चाय के रूप में सेवन करे तो भी यह बहुत फायदेमंद हैइसकी चाय बनाना बहुत आसान भी है और यह ज्यादा कडवी भी नहीं लगती है. वास्तव में उसको पीने से आनंद की अनुभूति होती है इसके चाय को निम्न तरीके से बना सकते है:
•एक कप चाय बनाने के लिए गुडूची अर्थात गिलोय के ताजे पत्ते को साफ़ धोकर 5 से 6 पते एक कप पानी में उबलने के लिए चढ़ा दे। उसके बाद 5 काली मिर्च, आधा चम्मच जीरा और पाम कैंडी के साथ ही आप इसमें चाहे तो शक्कर या शहद के साथ भी मिला कर पी सकते है। यह चाय मानसिक तनाव को कम करती है, यह यादाश्त को भी बढाती है, यह एक बहुत ही आसन सी घरेलू औषधी है। 
गिलोय के नुकसान
•गिलोय के इस्तेमाल से किसी भी तरह का कोई भी गंभीर दुस्प्रभाव नहीं है। गिलोय का इस्तेमाल चुकि हर्बल युक्त और प्राकृतिक तथा सुरक्षित है।लेकिन फिर भी अगर किसी भी चीज की मात्रा को जरुरत से ज्यादा लेने पर उसका असर बहुत अच्छा नहीं होता है।
•गिलोय खून में मौजूद शर्करा के निचले स्तर को कम कर देता है इसलिए जो व्यक्ति मधुमेह अर्थात शुगर की बीमारी से ग्रसित है, उन्हें इसका कम इस्तेमाल करना चाहिए और ज्यादा लम्बे समय तक इसका उपयोग नहीं करना चाहिए।
•इसके अलावा जो महिला गर्भवती है, उन्हें भी इसके इस्तेमाल से बचना चाहिए। साथ ही जो महिला अगर बच्चे को स्तनपान करा रही है उन्हें भी इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
•गिलोय उन बच्चो के लिए सुरक्षित है, जो बच्चे पांच साल या उससे ज्यादा उम्र के है, लेकिन बड़े बच्चों को भी एक बार ही इसकी खुराक देनी चाहिए वो भी सिर्फ़ एक सप्ताह तक इससे ज्यादा नहीं देनी चाहिए।
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