तिल भले ही आकार में छोटा होता हैै, लेकिन यह स्वास्थ के नजरिए से बहुत ही फायदेमंद होता हैै। काले तिल में पाए जाने वाले पोषक तत्व बढ़ती उम्र में होने वाले नकारात्मक प्रभावों से बचाव में मदद करते हैं।
भारतीय खानपान में तिल का बहुत महत्व है। सर्दियों के मौसम में तिल खाने से शरीर को ऊर्जा मिलती है और शरीर सक्रिय रहता है। तिल में प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन बी- कॉम्प्लेक्स और कार्बोहाइड्रेट आदि तत्व पाए जाते हैं, जिसके सेवन से शरीर स्वस्थ्य रहता है और तनाव दूर होता हैै। इसके अलावा प्राचीन समय से खूबसूरती बनाए रखने के लिए भी तिल का प्रयोग किया जाता रहा है। इसका उपयोग कई बीमारियों के इलाज और बढ़ती उम्र से निपटने के लिए किया जाता है। 35 की उम्र के बाद हड्डियों का बढ़ना रुक जाता है और मेनोपॉज़ के बाद महिलाओं में हड्डियों के टूटने का सिलसिला शुरू हो जाता है या हड्डियों में खोखलापन होने लगता है। ऐसे में काले तिल का सेवन उनके लिए फायदेमंद होता है, क्योंकि इसमें कैल्शियम और जिंक पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है, जो हड्डियों को मजबूत रखते हैं। वहीं तिल में विटामिन बी की मात्रा हमारी स्किन को अच्छा बनाएं रखती है और मधुमेह को बढ़ने से रोकता है। इसमें मौजूद जिंक बालों की सेहत के लिए जरूरी है। इससे इम्यून सिस्टम भी अच्छा रहता है। तिल में मैग्नीशियम की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जोकि उच्च रक्तचाप से निपटने में मदद करती है। काली तिल में पाया जाने वाला फाइबर और अनसैचुरेटेड फैटी एसिड कब्ज़ के इलाज़ में मदद करती है। हालांकि जिन लोगों को किडनी या पेट संबंधी समस्या है, उन्हें इसकी मात्रा कम लेनी चाहिए। जापान में हरी सब्जियों और पके हुए स्नैक्स में तिल को मिलाया जाता है। तिल की रोटियां भी बनाई जाती है। इसके अलावा कहीं- कहीं इसका इस्तेमाल सूखे मसाले बनाने में भी किया जाता है। काला तिल कोरियन पकवान का भी हिस्सा है। कहने का मतलब यह है कि आप भी तिल को खाने में अलग- अलग तरीके से शामिल कर सकते हैं।
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