गिलोय का वनस्पतिक नाम तिनोस्पोरा कोर्दिफोलिया ( Tinospora cordifolia) है। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण हर्ब है। यह एक प्रकार का लता युक्त पौधा होता है जिसकी लतिका 15 सें टी मीटर तक फैली हुई है। यह देखने में छोटे से पान के पत्ते की तरह होता है साथ ही यह दिल के आकार की तरह भी दिखता है । यह ज्यादातर जंगलो या पहाड़ों की कठोर मिट्टी पर उपजा हुआ पाया जाता है, इसमें छोटे छोटे बीज गुच्छों में लगे होते है। जो शुरुआत में हरे होते है और पक जाने पर लाल हो जाते है। गिलोय की खासियत यह है कि यह जिस तरह के भी पेड़ों पर फैलता है, उस पेड़ के जो भी अच्छे औषधीय गुण होते है वो इसके पौधों में समाहित हो जाते है। इस तरह से अगर यह नीम के पेड़ो पर फैला हुआ हो तो यह और भी लाभकारी होता है । गिलोय या गुडूची (Guduchi) को अमृत के समान माना गया है। गिलोय का संस्कृत नाम अमृतवल्ली है। जिसका उल्लेख प्राचीन स्वास्थ्य साहित्यों में मिलता है। वैज्ञानिक भी गिलोय के लाभों की पुष्टि करते हैं। सामान्य रूप से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का सबसे अच्छा विकल्प है। यदि सही मात्रा और पूरी जानकारी के साथ इस जड़
Think Again What You Eat :)